कलम उठाई ,
दवात उठाई ,
है हिम्मत......
बिन औकात उठाई ।
अपनी हो.....
या बात पराई ,
बुरे काम की.....
करूं बुराई ।
लिखता हरदम.....
मैं सच्चाई ,
चाहे करे कोई....
जग हँसाई ।
अपनी न....
कोई बात छुपाई ,
खोल के रखा....
दिल हरजाई ।
खोट किसी का....
खुदी बताई ,
की नही...
कभी बेवफाई ।
"मैं वीतरागी"......
खुदी लिखाई ,
नही किसी से....
मेरी लड़ाई ।
लिखता पर...
सूरत न दिखाई ,
दीखता पर....
पहचान न बताई ।
हरपल सोचूँ....
करूं लिखाई ,
नही चाहिए....
मुझे बड़ाई ।
कलम उठाई ,
दवात उठाई ,
है हिम्मत.....
बिन औकात उठाई ।
बहुत ही सुंदर मार्मिक सृजन.
ReplyDeleteसादर