Sunday, September 8, 2013

कलम उठाई


कलम उठाई ,
दवात उठाई ,
है हिम्मत......
बिन औकात उठाई ।

अपनी हो.....
या बात पराई ,
बुरे काम की.....
करूं बुराई ।

लिखता हरदम.....
मैं सच्चाई ,
चाहे करे कोई....
जग हँसाई ।

अपनी न....
कोई बात छुपाई ,
खोल के रखा....
दिल हरजाई ।

खोट किसी का....
खुदी बताई ,
की नही...
कभी बेवफाई ।

"मैं वीतरागी"......
खुदी लिखाई ,
नही किसी से....
मेरी लड़ाई ।

लिखता पर...
सूरत न दिखाई ,
दीखता पर....
पहचान न बताई ।

हरपल सोचूँ....
करूं लिखाई ,
नही चाहिए....
मुझे बड़ाई ।

कलम उठाई ,
दवात उठाई ,
है हिम्मत.....
बिन औकात उठाई ।

1 comment:

  1. बहुत ही सुंदर मार्मिक सृजन.
    सादर

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