" मैं वितरागी " लिखता जाऊं ,
दोस्तों से आज राग बनाऊं ।
कंचन-कोमल सी रचना बनाऊं ,
अपना छोटा सा नसीब दिखाऊं ।
यशी सी मैं दहाड़ बनाऊं ,
संजय को मैं राजेस दिखाऊं ।
सलिम के स्वेत सा ताज बनाऊं ,
विजय के बड़े हैं राज दिखाऊं ।
रवि की किरन मैं बनाऊं ,
भारती का नरेश कहलाऊं ।
अमरनाथ पे ज्योती जलाऊं ,
अलबेला तरकश मैं पाऊं ।
सागर को सीमा दिखाऊं ,
महेश से आरती कराऊं ।
फोज छोटी पर विजय दिखाऊं ,
गोविन्द से वृन्दा - वन में मधु ! राग लिखाऊं ।
नीरज शशी हरदम दिखाऊं ,
रम्भा से आनन्द राग लिखाऊं ।
मंझरी को पायल पहनाऊ ,
भारती के अंगारो पर नाच दिखाऊं ।
राजपूत को गिरिराज बनाऊं ,
चहल कदमी पे सोना पाऊं ।
कामा का विवेक दिखाऊं ,
दुबे से स्नेह अंकित कराऊं ।
राकेश सुधीर को मैं समझाऊँ ,
कलीम सा उन्हें गौरव दिलाऊं ।
" मैं वितरागी " लिखता जाऊं ,
दोस्तों से आज राग बनाऊं ,
अनुराधा से जाकर छपवाऊं ।
// मैं वितरागी //**************
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