Monday, September 9, 2013

कहो न अबला न बेचारी

कहो न अबला न बेचारी
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मैं बेटी बनी ,
खुश हुआ ,
ख़ुशी दी तेरे आंगन को ।

मैं प्रेमिका बनी ,
खुश हुआ ,
जान दी तेरे अरमानो को ।

मैं पत्नी बनी ,
खुश हुआ ,
शान दी तेरे जीवन को ।

मैं माँ बनी ,
खुश हुआ ,
मान दिया तेरे खानदान को ।

फिर क्यों....
कोख में माँ की...
मैं दफना दी जाती हूँ ?

फिर क्यों.....
प्यार के नाम ...
मैं लूटी ख्सोटी जाती हूँ ?

फिर क्यों....
घर में तेरे...
मैं जलाई जाती हूँ ?

फिर क्यों.....
संसार में तेरे....
मैं बहू मानी जाती हूँ ?

क्या खता है मेरी ?
मैं बेटी बनी ,
प्रेमिका बनी ,
पत्नी बनी ,
या माँ बनी ,
बता ये सब मैं किसके लिए बनी ?

मुझसे तेरे आंगन में किलकारी गूंजी ,
तेरे बंजर दिल में फूल खिले ,
तेरे जीवन में खुशियाँ आई ,
मेरा ही दूध पीकर तू बड़ा हुआ ।

आज मुझको ही तू अबला कहता ,
साथ में कहता बेचारी ।

मैं नही अबला ,
न मैं बेचारी ।

मैं बेटी हूँ तेरी ,
हूँ प्रेमिका तेरी ,
मैं पत्नी हूँ तेरी ,
हूँ माँ तेरी ,
क्या यही खता है मेरी ?

सुन अए नादा-----
गर मैं नहीं ! तो सृष्टि नहीं ,
तुझ पर ! किसी की दृष्टि नहीं ।
मानती हूँ ! नहीं बिन तेरे भी सृष्टि ,
रही सदा तुझ पर ! मेरी दृष्टि ।
पर मैं ! नहीं कहती तुझे बेचारा ,
तूने ही हरदम मुझ पर ताना मारा ।।

मेरे बिन---
कौन बनेगी तेरी बेटी....?
कौन बनेगी प्रेयसी..... ?
किसे कहेगा तू पत्नी.... ?
किसे कहेगा माँ..........?

हे नारी ! मैं करूं दुहाई
माफ़ करो मुझे-----

"मैं वीतरागी" जान गया ,
शक्ति तेरी पहचान गया ।
तू "मेरी बेटी".....,
"प्रेमिका है" तू मेरी..... ,
तू ही "मेरी पत्नी"......,
मेरी है "हे माँ".....।
इनके अलावा और भतेरे ,
बहुत रिश्ते हैं तेरे मेरे ।।

नहीं कहूँगा तुम्हे बेचारी ,
नहीं है तू अबला नारी ।
तू तो है महान ,
मनुष्य जाति की......
हो ! शान
आन , हो
हो ! मान
तेरे बिन अधूरे ! जग के सारे अरमान....।।
// मै वीतरागी // ***********************
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