Tuesday, September 17, 2013

राग व्यंजन

क - कविता बनाऊं ,
ख - ख़्वाब हकीकत दोनों सजाऊं ।
ग - गम में ख़ुशी में हरपल ,
घ - घनी पर सीधी साधी बात लिखूँ ।
ड़ -

च - चाँद की सूरज की ,
छ - छम छम बारिश की बात लिखू ।
ज - जग की सारी बात ,
झ - झंडा सा तन के दिन रात लिखूँ ।
ञ -

ट - टपटप सावन सी ,
ठ - ठंडी सर्दी की ,
ड - डूबते सूरज सी ,
ढ - ढलते चाँद की बात लिखूँ ।
ण -

त - तलवार की धार सी ,
थ - थकता नहीं हरबार लिखूँ
द - दिन रात हरपल ,
ध - धनुष के वार सी ,
न - नमक मिर्च बिन बात लिखूँ ।

प - परवाह बिन बात लिखूँ ,
फ - फल बिन दिन रात लिखूँ ,
ब - बात अपनी बिन औकात लिखूँ ।
भ - भरता नही मन बिन लिखे ,
म - " मैं वितरागी " मरने तक बात लिखूँ ।

य - यश नहीं जानता ,
र - राशि भी नहीं मांगता ,
ल - लक्ष्य दिख जाए कोई ,
व - वहीं बैठ मैं बात लिखूँ ।

श - शीश कटा सकता हूँ ,
स - सर झुका के न बात लिखूँ ।
ष - षड्यंत्र करूं न कोई ,
ह - हर पल अपनी औकात लिखूँ ।।

क्ष - क्षमा मांगता गलती की ,
त्र - त्रिशूल सी गर बात चुभे ,
ज्ञ - ज्ञान नहीं है बातो का ,
श्र - श्री को ध्यान में रख कर बात लिखूँ ।।
// मैं वितरागी //

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